पंडित बिरजू महाराज जी को सादर श्रद्धापूर्वक नमन
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आपसे आप ही रहे दूजा तो हमने कसम से कभी देखा नहीं।
नृत्य,लय,ताल पर ऐसा बारीक अमिट अभिनय सोचा नहीं।।
मोहक-व्यक्तित्व,अप्रतिम ओज संग,मधुर-मुस्कान आपकी।
कृष्ण के लीला सहचर रहने पर आपके अचरज होता नहीं।
गिनती की तिहाई,टुकड़ों का रंग जिसने भी देखा है साक्षात आपका।
हृदय उसके शतदल "नलिन" खिला न हो ऐसा हो सकता नहीं।
अजर-अमर नायक वीणापाणि के सदा रहे विरल कृपा पात्र।
इंद्रधनुषी रास-रंग वैसा नख-शिख,हतभाग्य अब दिखेगा नहीं।
घुघुरुओं की थाप ने सुधा-रसधार अद्भुत समां बांधा मंच पर।
सुधिजन निसंकोच कहते "उस्ताद" अब ऐसा पैदा होगा नहीं।।
Your composition a great tribute to Kathak Samrat.
ReplyDeleteTruly touching tribute.
ReplyDeleteमहान कथक कलाकार लास्य- सम्राट स्वर्गीय श्री बिरजू महाराज जी को कोटि नमन।🙏🙏 इस भावप्रवण श्रद्धांजलि-सरिता में मेरे अश्रु भी उन्हे अर्पित ....🙏🙏🙏🙏
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