मिलते रहिए हमसे कभी-कभी।
वरना भूल जाएंगे हमको आप यूंही।।
दिखाए हैं ख्वाब आपने अक्सर हमको कई।
रंगे हकीकत का पहनाइए तो लिबास सही।।
हर शख्स को है आपकी जरूरत ये माना।
मगर हम तो रहे हैं कतार में सबसे पहली।।
रखे हैं रोजे बस आपके नाम से एक उम्र से।
जाने क्यों फिर भी आप हैं कि मानते नहीं।।
"उस्ताद" तेरे नाम की महक से हम खिलते हैं।
भर दे हामी मिलने कि चाहे फिर झूठी ही सही।।
बहुत खूब.... जनाब।।..👌🙏 आमीन।
ReplyDelete