अप्रतिम अद्भुत अलौकिक दृश्य दृष्टिगोचर हुआ।
अनंत अपार महासिंधु सम्मुख सिंधु ठहरा- ठहरा दिखा।।
नील गगन,नील सागर,नील वसन मानों जैसे एकाकार हुआ।
धरा-धरित्री,सप्तलोकी-हरिप्रिया*श्रीमुख प्रफुल्लित दिखा।।*माताजी
गंगाधर* सम्मुख श्रीलक्ष्मीनारायण**चरण गंगा उद्गम हुआ।* सागर **बाबाजी
रत्नागर*तब अपनी क्षुद्रता विचार व्याकुल मचलता दिखा।।*सागर
अखंड सृष्टि,ब्रह्मांड प्रतिश्वास जिसकी लय चलायमान हुआ।
श्रीमां का सहज,सरल वात्सल्य-रस परिपूर्ण बहता दिखा।।
निहारते स्वयं अपनी ही रचना जाने भीतर क्या मनोभाव छुपा हुआ?
कृपा क्षीर अबोध बालक"नलिन" मुख रचा- बसा बस दिखा।।
@नलिन #तारकेश
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