आंखों से जो पी लिया छलकता पैमाना।
रहा बन्दगी में उसकी बहता पैमाना।।
बड़े गहरे धंसे जज्बात उभारता पैमाना।
जाने कितना कुछ चुपचाप है सहता पैमाना।।
दिल नहीं अब देखते हैं लोग महज हैसियत। जर*जमीं फर्क नहीं इन्हें पता पैमाना।।*स्वणॆ
मतलब के खयालों से अब चलते हैं दिलो दिमाग।
है रोज जा रहा जज्बात का सिकुड़ता पैमाना।।
इशारों से उसके ही चलते हैं चांद सितारे।
यूं है नहीं कोई सफलता-विफलता पैमाना।।
क्या कोई देगा भला मिसाल "उस्ताद" उसकी।
खुदाई रहमत का कहां कोई बता पैमाना।।
@नलिन #उस्ताद
No comments:
Post a Comment