गुरुदेव सुन लो मेरी करुण पुकार
देखो खड़ा हूँ मैं कब से तेरे द्वार।
यद्यपि विनय मेरी बड़ी भोली है सरकार
तथापि भीतर तो है मल की गठरी अपार।
तो भी जो तेरे आगे लगा रहा हूँ गुहार
जानता हूँ अवश्य तू लेगा मुझे उबार।
करुणा निधान,वात्सल्य के अनुपम भण्डार
कब गिनेगा तू भला मेरे दुर्गुण अनेक हज़ार।
तू तो सदा है प्रस्तुत करने मेरा उपकार
देकर ह्रदय को मेरे निर्मल नाम आधार।
jai baba ji
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