साईं तेरा जादू अब सिर चढ़ के बोलता है
जहाँ देखता हूँ बस तू ही दिखाई देता है ।
मेरी क्या बिसात जो ज़रा भी कुछ कर सकूँ
मेरा हर काम तो तू ही हर बार किया करता है।
ये नाम,ये दौलत,ये बेवज़ह वाह-वाही मेरी
क्या करूँ ये गुरुर भी तू ही तो दिया करता है।
मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा और गिरजाघर
रूप बदल कर बस तू ही तो रहा करता है।
कायनात में छायी है हर तरफ तेरी खुशबू
महसूस हो जाए अगर तो दीवाना बना देता है।
सुख, दुःख उल्लास और बेचारगी सारी
जिंदगी में हमारी तू ही तो भरा करता है।
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