गजल की शहनाई खामोश हो रह गयी।
दुनिया-ए-गजल आज बदहाल हो ढह गयी।।
सुरों के मखमली सैलाब की रुक गयी राह ।
गमे दिल को बहलाने की बात तो बह गयी।।
पाकीजगी,शऊर और लफ्जों की जादूगरी।
ये क्या हुआ या खुदा ये किसकी नजर डह गयी।।
रवायतें और नए अंदाज में फन की बारीकी।
जगजीत की गायकी इस जहां मिसाल बन रह गयी।।
मुक़र्रर ,इरशाद,बहुत खूब का जशने चराग़ा।
"उस्ताद"-ए-ज़र्राफ़* की महफिल आज तो छह गयी।।
* (होनहार)
@नलिन #उस्ताद