Wednesday 5 August 2020

सुस्वागतम् श्रीराम आपका कलियुग में



      सुस्वागतम् श्रीराम आपका कलियुग में 
卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐
जन-जन,सबके आकुल-व्याकुल थे मन-प्राण भरत से वर्षों से।
निर्निमेष बाट जोह रहे थे,कब आएंगे श्रीराम अपने ही घर में।।
त्याग-बलिदान किया सर्वस्व,जाने कितनों ने एक युग से।
शुभ घड़ी,निहारने का प्रतिफल जिसका पाया हम सबने।।
बीती सदियां पांच,हर दिन-हर रात जिसके एक युग से।
झेले छल-प्रपंच,अनगिनत कुछ अपने तो कुछ गैरों से।।
मर्यादा की लक्ष्मण रेखा लांघी,कभी न जिसने स्वयं के जीवन में।
उस पर कितने अमर्यादित वार किए कुछ अपने ही जयचंदों ने।।
पर चलो हुआ पटाक्षेप,राम कृपा से जैसे-तैसे इन सब से। अब तो सज सँवर तैयार हो रही,राम की नगरी भव्यता से।।
उत्साह,उल्लास का रंग अनूठा,गजब है छाया आज सबके ही मन में। 
नवयुग का आह्वान करता कालचक्र प्रतीत हो रहा है देखो  कण-कण में।।
दीप जले,शंख बजे हर घर-घर गली-गली भूमंडल में।
देव,यक्ष,नर-नारायण सब दिखते अति प्रसन्न,मगन से।
भूतो न भविष्यति,हम सब हिन्द के वासी हैं आज मन्त्र-मुग्ध से।
राम कृपा से अभिभूत हम खुद को पाते धन्य हुई इस देह में।।
नलिन पाण्डे "तारकेश"

No comments:

Post a Comment