आइये संकल्प करें हम
ह्रदय से,समवेत स्वर में
ह्रदय से,समवेत स्वर में
नववर्ष के शुभागमन पर
अपने भीतर जो है बसता
अंतरात्मा सदन में
या कहें अपने विवेक,बुद्धि में
या कहें अपने विवेक,बुद्धि में
बहुत कुछ है करना सुधार
शेष जो हमारे व्यक्तित्व में
करें उसकी प्रण-प्राण चेष्टा
पूरे उत्साह,मनोयोग से
जीवन-मरण जो नहीं अपने हाथ
सुअवसर जितना मिले,बस उसे साध
व्यर्थ यूँ एक सांस जाने न दें
एक-एक पल, जितना भी हो सके
अपना जीवन सुधार लें।
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